नव वर्ष की नई डायरी
एक और नई डायरी लेकर
फिर एक नव वर्ष आया है
हर दिन लिखा जायेगा
एक नया पन्ना
हर दिन की होगी नई गाथा
हर सुबह की होगी नई आशा
हर रात बुनेगी नया सपना
हर उषा में दमकती किरणें होंगी
चंदा में चमकती चांदनी होगी
हर पन्ने पे बिखरेगा नया नूर
हर कलम में होगा नया सुरूर
आतंकियों का न भय होगा
अपनों से न विछोह होगा
नव वर्ष मिलाएगा बिछड़े सभी
नव वर्ष बनाएगा रिश्ते कई
उन रिश्तों की डोरी में स्नेह होगा
धरती पे बरसता मेंह होगा
फ़सलें लहरायेंगी खिलेंगे सुमन
खुशबुओं से महक उठेंगे चमन
दमन पर न किसी के दाग़ होगा
नारी का न अपमान होगा
मनुजता का न नंगा नाच होगा
नवजात को न मारा जायेगा
दुल्हनों को न जलाया जायेगा
हर घर में जन्मेगा गाँधी कोई
लायेगा अहिंसा की आंधी वही
शांति के दूत यहाँ होंगे
पाठशालाओं में मानवता के पाठ होंगे
धोकर कलुषित मन सबके
जग में एक नई सुबह होगी
नव वर्ष की इस डायरी में
हर शाम एक सुखद खबर होगी |
हर शाम एक सुखद खबर होगी ||
~~ सविता
अग्रवाल “सवि” ~~