Friday 23 May 2014

हाइकु
१.
नव सुषमा
सजा है उपवन
झूमता मन
२.
बरखा आयी
धरा खूब नहाई
शाख मुस्काई
३.
प्रकृति मन
बादलों की गरज
हंसा आनन् 
४.
नाप न पायी 
सिन्धु की गहराई 
आयी रुलाई 
५.
अँखियाँ बंद 
तन में सिहरन 
स्नेहिल मन 
६.
नभ में भरी 
दामिनी की दमक 
लाई चमक 
७.
पक्षी किलोल 
बन्दूक की आवाज़ 
कातर शोर 

सविता अग्रवाल "सवि" 

Friday 2 May 2014


श्रमिक दिवस पर मेरे हाइकु

स्वेद बहाकर
थक घर आकर
रात बिताते
   २.
आराम त्याग
धरती को दलते
जन पलते 
   ३.
न कोई चिंता
सुख की हैं करते
चैन से सोते 
  ४.
न कोई स्वप्न
पूरा देश अपना
श्रम जीवन
  ५.
यही विजय
हलधर कहते
श्रम की जय
 
सविता अग्रवाल "सवि"

Thursday 1 May 2014

माँ पर कुछ हाइकु

१.माँ का सम्मान
  कष्टों से होती मुक्ती
  बने महान

२.माँ सा ना कोई
  जन्म भर सेती है
  करे रसोई

३.बांधती गाँठ
   प्यार के बंधन की
  बनकर माँ

४. टूटे सम्बन्ध
   सीती  ही रहती माँ
   जीवन भर

सविता अग्रवाल "सवि"