Friday, 23 May 2014

हाइकु
१.
नव सुषमा
सजा है उपवन
झूमता मन
२.
बरखा आयी
धरा खूब नहाई
शाख मुस्काई
३.
प्रकृति मन
बादलों की गरज
हंसा आनन् 
४.
नाप न पायी 
सिन्धु की गहराई 
आयी रुलाई 
५.
अँखियाँ बंद 
तन में सिहरन 
स्नेहिल मन 
६.
नभ में भरी 
दामिनी की दमक 
लाई चमक 
७.
पक्षी किलोल 
बन्दूक की आवाज़ 
कातर शोर 

सविता अग्रवाल "सवि" 

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