अध बुना ख़्वाब
पूरे बुन कर रखे थे मैंने
कुछ अपने मन चाहे ख़्वाब
धीरे धीरे पूर्ण हुए वो
मन भी शांत हुआ मेरा
ख्वाबों को असली में जी कर
मैंने पथ एक नाप लिया
चमक दमक सी राहें थीं वें
जिन पर चल आमोद किया
देखा फिर एक ख़्वाब अचानक
सोचा इसको बुन लूंगी
समय मिला ना पूरा मुझको
जीवन संध्या आ पहुंची
फंदे ही गिनती रह गई मैं
बुन पाई न उसे कभी
ख़्वाब अधबुना लेकर ही मैं
दूर जाऊँगी इस जग से
लेकर के कोई नया नमूना
फिर आऊँगी इस जग मैं |
~सविता अग्रवाल "सवि "~
पूरे बुन कर रखे थे मैंने
कुछ अपने मन चाहे ख़्वाब
धीरे धीरे पूर्ण हुए वो
मन भी शांत हुआ मेरा
ख्वाबों को असली में जी कर
मैंने पथ एक नाप लिया
चमक दमक सी राहें थीं वें
जिन पर चल आमोद किया
देखा फिर एक ख़्वाब अचानक
सोचा इसको बुन लूंगी
समय मिला ना पूरा मुझको
जीवन संध्या आ पहुंची
फंदे ही गिनती रह गई मैं
बुन पाई न उसे कभी
ख़्वाब अधबुना लेकर ही मैं
दूर जाऊँगी इस जग से
लेकर के कोई नया नमूना
फिर आऊँगी इस जग मैं |
~सविता अग्रवाल "सवि "~