Sunday 3 February 2013


                 एक रात की रानी

   र्मियों के दिन थे | मधु अपने दोनों बेटों के साथ छुट्टी मनाने, माँ के पास रहने के लिए आई हुई थी | मधु का बड़ा बेटा ‘कृष’ सात साल का था और छोटा ‘श्रेय’ ढाई साल का था, माला (नानी) ने भी अपने दोनों नातियों और बेटी के लिए तरह तरह की खाने की चीज़ें बना कर रखीं हुई थीं | पूरा दिन घुमते –फिरते, खाते पीते और रसोई के कामों में निकल जाता था | रात को थककर लेटी तो कृष और श्रेय, माला के पास सोने की जिद्द करने लगे, इसलिए नीचे ज़मीन पर ही गद्दा बिछा दिया गया | माला को भी अच्छा लगता था बच्चों के साथ समय बिताना | कभी कभी तो बच्चें आतें हैं यही सोच कर उनकी जिद्द पूरी की जाती थीं | एक कम्बल लेकर लेटे ही थे कि अचानक जोर से बारिश होने लगी | दोनों बच्चे दिन में थोडा सो चुके थे इसलिए नींद उनकी आँखों में नहीं थी | माला ने सोचा एक कहानी सुनाकर दोनों को सुला दूंगी और फिर खुद भी सो जाउंगी, सुबह जल्दी उठकर अगले दिन का खाना बनाने की तैय्यारी करनी थी | परन्तु कहानी के खत्म होने पर कृष ने कहा  – नानी “अब हम खेलेंगे “ उसने कम्बल को चारों तरफ से बंद कर लिया और कहा अब यह हमारा महल है | नानी आप इस महल की रानी हैं और नानाजी जो दुसरे कमरे में सो रहे थे, कल्पना में उन्हें राजा बना दिया गया|
मम्मी (मधु) को राजकुमारी अपने डैडी को और मामा को मंत्री की उपाधी दे दी गयी |
श्रेय को छोटा राजकुमार और स्वयं को बड़ा राजकुमार बना दिया |
        रानी का सिंहासन भी स्थापित किया गया जो अनेकों रत्नों से सुसज्जित था, उस पर रानी को बैठा दिया गया, काल्पनिक पहरेदार भी दोनों तरफ खड़े किये गए जिससे रानी को कोई नुकसान न पहुंचा सके | रानी के एशो आराम के लिए सभी तरह के उपकरणों का भी प्रबंध किया गया | खेल थोड़ी देर में समाप्त हो गया | श्रेय तो खेलते खेलते पहले ही सो गया था अब कृष भी नींदों में आ गया और सोने लगा | माला को बारिश की बूंदों ने जो खिड़की पर गिर गिर कर अपना अस्तित्व मिटा रहीं थीं ,सोने न दिया | उस रात माला अपने आप को एक रानी ही महसूस कर रही थी, रानी की तरह उठाना, बैठना, चलना, आदेश देना सभी कुछ कल्पना में पंख लगाकर ऊंची उड़ान भर रहा था | यही सोचते सोचते माला की भी आँखें बोझिल होने लगीं और कब उसकी आँख लग गयी पता ही न लगा और सवेरा हो गया | सवेरे जब वह उठी तो उसने अपने पति से कहा-“एक अनूठा अनुभव जो मैंने कभी नहीं किया वह मुझे कल रात हुआ – कृष ने तो मुझे एक रात की रानी ही बना दिया “||         

                                         सविता अग्रवाल “सवि”