Sunday 16 September 2012



मातृ भाषा "हिंदी"  


हिंदी भाषा के मस्तक पर
अमिट सा तिलक लगायेंगे
हिंदी भाषी कहलाने का
गौरव  पा  इतरायेंगे
हिंदी भाषा बोल कर जग में
जन जन को मह्कायेंगे
भरत,  दधीचि, हरिश्चन्द्र की
गाथाएँ  दोहराएंगे 
मातृ भाषा है हिंदी अपनी
गीत अनेंको गायेंगे
आँचल में हम इसकी रहकर
राहें   नई  बनायेंगे
पाषाणों और शिलाओं पर
 हिंदी में लिख जाएंगे
भाषा का हम मान बढ़ाकर
सम्मानित हो जाएंगे
रुप-रेखाएं नई खींचकर
संकलित हम कर जाएंगे
आज़ादी के पंख लगाकर
नभ को भी छू आयेंगे
आओ मिल सब हिंदी प्रेमी
अखंड ज्योत जलाएंगे
आशाओं के दीप जलाकर
जग रौशन कर जाएंगे
लुप्त न हो यह भाषा अपनी
ऐसा कुछ कर जाएंगे
आने वाले कल को देकर
अमर हिंदी कर जाएँगे।

                    - सविता अग्रवाल "सवि"-
 

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