सविता अग्रवाल, हिन्दी राइटर्स गिल्ड
Wednesday, 24 October 2012
हाइकु
हाइकु
शिशु जीवन
सहज,आधीन सा
काटता दिन
ठहरा पानी
झोंके से हवाओं के
मचल उठा
कोरी कलम
रंग गई तख्ती को
चारों ओर से
धक् धक् सी
निरंतर चलती
रक्त रवानी
शाखों का रंग
धूप की चमक से
निखर उठा
तपता मन
सांसों से राहत की
सरसा गया
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