Monday, 17 September 2012

प्रिय मित्रो कुछ हाइकु लिखे हैं-

चिड़ियों का भी
बदल गया मन
पतझड़  संग


धूमिल  नभ
दिवस हुआ पूरा
छाया अंधेरा

सूर्य किरण
बिखरा रही छटा
चोटियों  पर

टूटा पत्थर
बना गया आकृति
टूट कर भी

उड़ा ले गया
विचार चपेट में
झोंका हवा का   

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