Wednesday 9 January 2013

एक शहीद की छोटी सी आशा

 मैंने अपना धर्म निभाया
 सीने पर खाकर गोली को
 भारत माँ का क़र्ज़ चुकाया
 पर छोड़ा परिवार है पीछे 
 बालक नन्हा, माँ –बापू
 पत्नी का सुहाग बना था
 कुछ वर्ष मिले थे और कुछ दिन
 आशा है एक मेरी, जग से
 तुम्हें चैन से सोने में
 मैंने जो कुर्बानी दी है
 उस पर तुम उपकार करो
 कभी कभी मेरे फोटो पर
 हार सुमन का दान करो
 मेरे बूढ़े माँ –बापू का
 मरहम बन उपचार करो
 अंतिम साँसें जब ली थीं मैंने
 बस इतना ही ध्यान किया
      देश मेरे में रहने वालों
      तुम सब को नमन किया |
             ~ सविता अग्रवाल “सवि”~

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